33 C
Mumbai
Sunday, November 17, 2024

Jitiya Vrat Katha: जितिया (जीवित्पुत्रिका) व्रत कथा मातृत्व का प्रतीक और संतान सुख की प्राप्ति , आगे पढे

जितिया व्रत की कथा बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस व्रत का उद्देश्य संतान सुख की प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए माताएं इसे रखती हैं।

जितिया व्रत की कथा

एक बार एक पति-पत्नी थे, जिनका नाम सत्यवान और सावित्री था। वे बहुत गरीब थे और उनके पास संतान नहीं थी। सावित्री ने भगवान से प्रार्थना की कि उन्हें एक संतान मिले। एक दिन सावित्री ने एक संत से सुना कि जितिया व्रत रखने से संतान सुख प्राप्त होता है। उसने ठान लिया कि वह यह व्रत रखेगी।

सावित्री ने जितिया व्रत की सभी विधियों का पालन किया। इस व्रत में माताएं दिनभर उपवासी रहकर रात को विशेष पूजा करती हैं। सावित्री ने भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा और पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की।

व्रत के अंत में, सावित्री ने संतान के लिए प्रार्थना की। भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली और उन्हें एक सुंदर पुत्र का आशीर्वाद दिया। इस प्रकार, सावित्री का व्रत सफल हुआ और उसने अपने बेटे के माध्यम से जीवन में खुशियाँ प्राप्त कीं।

व्रत की विधि

1.निर्जला उपवासी रहना: माताएं इस दिन केवल फल-फूल खाती हैं और पानी का भी सेवन नहीं करतीं।
2.रात की पूजा: रात में विशेष पूजा की जाती है। इसमें मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है, जिसे माँ जितिया के रूप में पूजा जाता है।
3.संध्या के समय आरती: माता-पिता, पति और बच्चों की लंबी उम्र के लिए आरती की जाती है।
4.दक्षिणा और भोग: व्रत के अंत में दक्षिणा और भोग का महत्व है।

 

जितिया व्रत करने के फायदे

1. संतान सुख की प्राप्ति: इस व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान सुख प्राप्त करना है। बहुत सी माताएँ इस व्रत को रखकर संतान के आशीर्वाद की कामना करती हैं।

2. संतान की लंबी उम्र: जितिया व्रत माताओं के लिए अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना करने का अवसर प्रदान करता है।

3. पारिवारिक बंधन में मजबूती: इस व्रत के माध्यम से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सहयोग बढ़ता है।

4. आध्यात्मिक लाभ: व्रत रखने से व्यक्ति की आत्मा में शांति और संतोष का अनुभव होता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

5. सकारात्मक ऊर्जा: पूजा और व्रत के दौरान सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो परिवार में सुख और समृद्धि लाने में सहायक होता है।

6. पौराणिक मान्यता: जितिया व्रत को रखने से देवी माताओं की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाती हैं।

7. स्वास्थ्य लाभ: उपवासी रहने से शरीर को कुछ समय के लिए विश्राम मिलता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।

8. सामाजिक समर्पण: इस व्रत के माध्यम से महिलाएं एक दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व को मनाकर सामाजिक बंधनों को मजबूत करती हैं।

इस तरह, जितिया व्रत न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और मानसिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

जितिया व्रत न केवल संतान सुख की प्राप्ति का साधन है, बल्कि यह मातृत्व के प्रेम और बलिदान का प्रतीक भी है। इस व्रत के माध्यम से माताएँ अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद और सुरक्षा की कामना करती हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

ताजा खबर

Recent Comment

इस तरह की और भी पोस्ट
Related news